सुन्दर देह सु आन पदारथ, पाप अकारथ काह वहो।
जो धन पा वहु खाहु खियावहु, कोहे अनारि सँभारि गहो॥
धरनी फिरि आवन दुर्लभ है, अव गोइनिको एकले निबहो।
दिन चारिको मर्म कहा भुलनो, भइ! राम कहो भई! राम कहो॥1॥
सुन्दर देह सु आन पदारथ, पाप अकारथ काह वहो।
जो धन पा वहु खाहु खियावहु, कोहे अनारि सँभारि गहो॥
धरनी फिरि आवन दुर्लभ है, अव गोइनिको एकले निबहो।
दिन चारिको मर्म कहा भुलनो, भइ! राम कहो भई! राम कहो॥1॥