चील ने भर ली है
अपने पँजों में
शहर की सारी चहल-पहल
सड़कों पर घूम रही है
नँगे पाँव चुप्पी की डायन
गौरैया ने अपने बच्चों को
दिन में ही सुला दिया है
अपने मन के बिस्तर पर
और अपने सिरहाने रखी है
आशँकाओं की मैली गठरी
दूर बस्ती के बीच
बिजली के खम्भे के ऊपर
आकाश की लहरों पर
कश्ती चलाता एक पँछी
गिर कर मर गया है ।