Last modified on 14 जनवरी 2012, at 23:37

कर्मचारी / विजय गौड़

 
बस बची रहे मेरी पेंशन,
ग्रेच्युटी
मेरा प्रोवीडेंट फंड

फिर चाहे घर बेचो
दुकान बेचो
खेत बेचो, खदान बेचो
बाँसुरी की तान बेचो

बेचो-बेचो इस
निकम्मे हिन्दुस्तान को बेचो
बस बची रहे मेरी पेंशन,
ग्रेच्युटी
मेरा प्रोवीडेंट फंड ।