Last modified on 18 जून 2010, at 03:11

कर लो / विजय वाते

पहले चाहत की तिश्नगी कर लो
फिर जो चाहो वो तुम सभी कर लो

बहते दरिया पे हक सभी का है
तुम ज़रा प्यास में कमी कर लो

बच्चा मासूमियत का झरना है
उसके हाथों से गुदगुदी कर लो

जिंदगी सिलसिला है सुख दुःख का
क्यों किसी सुख की त्रासदी कर लो

हाँ अगर काफिया तुम्हें न मिले
अपने उस्ताद की कही कर लो