भीड़ में
घिरे हुए आदमी को
दबे पांव
आहिस्ता से
हाथ थाम
अलग कर दिया तुमने
और
साथ चलते रहे
कदम - दर - कदम
मील- दर - मील
एक छोर से
दूसरे छोर तक
अंतिम मोड़ पर पहूँच
अचानक
चुपचाप
चले गये तुम
कहा
अब जाओ
तुम्हें जो देना था दिया