Last modified on 31 अगस्त 2010, at 00:41

कलरव / सौमित्र सक्सेना

पेड़ों के झुरमुट में
शाम घिर आई है
अभी फिर
कलरव होगा आज ।

थकी हुई चिड़ियाँ
मज़दूरों की औरतों की तरह
ख़ूब गीत गाती हैं-

ऐसे ही जैसे
मज़दूरों की औरतें
शोर करती हैं
हर शाम
चिड़ियों-सा ।