कलाकार
मन का राजा होता है
वह जब चाहे
राजा की तरह सोच सकता है
राजा के यह बस में नहीं
सोच सके
एक कलाकार की तरह
कभी-कभी तो कलाकार
भगवान का भेष धर लेता है
भला और किसके बस में है
ऐसी कलाकारी !
कलाकार
मन का राजा होता है
वह जब चाहे
राजा की तरह सोच सकता है
राजा के यह बस में नहीं
सोच सके
एक कलाकार की तरह
कभी-कभी तो कलाकार
भगवान का भेष धर लेता है
भला और किसके बस में है
ऐसी कलाकारी !