कला वह है
जो सत्य के अनुरूप हो
और
उठानेवाली हो
हमारी
पीढ़ियों को
यों तो हर लापरवाह
साधन बना सकता है
गिरने का सीढ़ियों को !
कला वह है
जो सत्य के अनुरूप हो
और
उठानेवाली हो
हमारी
पीढ़ियों को
यों तो हर लापरवाह
साधन बना सकता है
गिरने का सीढ़ियों को !