उनकी नजर में
कविता लिखना फैशन है
तभी तो
पड़ौस की ‘मेम’
लिख-लिख कविताएं
उड़ा देती है
पतंग की तरह
मैंने
कितनी बार
लिखनी चाही कविता
पर
नहीं लिखी गई
आज
जब कौए ने
ऊँट की टाकर<ref>घाव</ref> पर
मारी चोंच
तो पता नहीं
कहां से आकर
पसर गई कविता
उसके नंगे घावों पर
शब्दार्थ
<references/>