कविता अंधी नहीं होती
कविता गूँगी नहीं होती
कविता बर्बरीक के कटे सिर की तरह
सबकुछ देखती है
सबकुछ बोलती है
वह बोलेगी
नरसंहार की लीलाकथा
बिलखते बच्चों की व्यथा
सत्ता के स्वार्थ में
युग वैभव का युगान्त
कविता गूँगी नहीं होती
कविता बोलेगी
अब कविता के जनमने का
समय हो गया है।