Last modified on 6 फ़रवरी 2021, at 00:35

कविता / राजेश कमल

वह एक खूबसूरत कविता थी
मैं हर पल उसे गुनगुनाता
उसके शब्दों में खोया रहता
लेकिन
मैं उसका कवि नहीं था
सो एक दिन
वह चली गई
किसी किताब के किसी पन्ने में
अपने कवि के नाम
और मैं हूँ
कि उन शब्दों के जादू से नहीं उबर पाया
अब तलक