Last modified on 15 नवम्बर 2009, at 23:50

कविता और प्रेम / रामधारी सिंह "दिनकर"

ऊपर सुनील अम्बर, नीचे सागर अथाह,
है स्नेह और कविता, दोनों की एक राह।
ऊपर निरभ्र शुभ्रता स्वच्छ अम्बर की हो,
नीचे गभीरता अगम-अतल सागर की हो।