जब
मंगलेश भाई
नहीं रहे
तो एक कविता भी
उनके साथ चली गई
जो दिल्ली में
ठीक से बस नहीं पाई थी
वह हिमालय से निकली
एक नदी की तरह
यमुना में विलीन हो गई
जब
मंगलेश भाई
नहीं रहे
तो एक कविता भी
उनके साथ चली गई
जो दिल्ली में
ठीक से बस नहीं पाई थी
वह हिमालय से निकली
एक नदी की तरह
यमुना में विलीन हो गई