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कविता री ऊरमा / राजेन्द्र जोशी

इतरो आतंक क्यूं है
अेक-दूसरै देस बिचाळै
पड़ोसी सूं बैर
अर दूर देसां सूं हेत।

कवि नै भेजो
कसमीर रै लाल चौक
कविता आतंकी नीं है
नीं है कवि सूं बैर-भाव।

सीमा माथै
कविता अर शायरी
सूर अर गालिब रा अंदाज।

नीं करै अणदेखी
दिल्ली अर करांची
कवि अर शायर री
हुय जावैला आतंकी अर
आतंकवाद री जड़ां सूनी
कविता-शायरी सुणनै।
नीं रैवै आतंक अर आतंकी
नीं बंदूक अर बारूद
कवि रै सबदां सूं
कविता री लय सागै
हुवैला हेत
सीमा माथै।