कविता सूई नहीं
जो पूरे मकान में
लालटेन लेकर ढूँढें
यह मिट्टी
अलग - अलग रंग में
लोगों को जोड़ती है
आग में तपे
तो ईंट
पानी में गले
तो गारा
और काटने पर उतरे
तो आरा
कविता सूई नहीं
जो पूरे मकान में
लालटेन लेकर ढूँढें
यह मिट्टी
अलग - अलग रंग में
लोगों को जोड़ती है
आग में तपे
तो ईंट
पानी में गले
तो गारा
और काटने पर उतरे
तो आरा