कहीं कुछ भी नहीं है
जो था
जो है
नहीं था वह कभी
ढूँढ़ते फिरें वैयाकरण
रिश्ता है का था से।
कविता होती है बस
कभी वह थी नहीं होती।
कहीं कुछ भी नहीं है
जो था
जो है
नहीं था वह कभी
ढूँढ़ते फिरें वैयाकरण
रिश्ता है का था से।
कविता होती है बस
कभी वह थी नहीं होती।