कविता होने में
खंडहर हो जाता शब्द
एक अस्तित्व स्मृति हो गया जैसे
बदरंग स्मृति,
रेत जिस पर छायी जाती।
सदा ही हरा रहे यह जख्म़
कहीं खंडहर न हो जाये
कविता में इसीलिए
मैं नहीं लिखता हूँ
तुम्हारा नाम
(1991)
कविता होने में
खंडहर हो जाता शब्द
एक अस्तित्व स्मृति हो गया जैसे
बदरंग स्मृति,
रेत जिस पर छायी जाती।
सदा ही हरा रहे यह जख्म़
कहीं खंडहर न हो जाये
कविता में इसीलिए
मैं नहीं लिखता हूँ
तुम्हारा नाम
(1991)