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कविता - 14 / योगेश शर्मा

 यह गाँव है साहब।
यहाँ दोपहर छोटी
और साँझ लम्बी होती है।
यहाँ
कुत्ते भौंकते हैं तो
लोग घर से बाहर निकल आते हैं
यहाँ कुत्तों के भौकने से फर्क पड़ता है।