कवि,
मैं डूब जाना चाहती हूँ
तुम्हारी कविता में,
और तुममें भी,
पर डर है
तुम दिख जाओगे मुझे पूरे के पूरे,
और खो जाएगा वह एक कोना,
जहाँ जा कर मैं साँस लेती रही हूँ,
मुझे तुम्हें बस उतना ही जानना है
जितने तुम कवि हो।
कवि,
मैं डूब जाना चाहती हूँ
तुम्हारी कविता में,
और तुममें भी,
पर डर है
तुम दिख जाओगे मुझे पूरे के पूरे,
और खो जाएगा वह एक कोना,
जहाँ जा कर मैं साँस लेती रही हूँ,
मुझे तुम्हें बस उतना ही जानना है
जितने तुम कवि हो।