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कवि आज का / सुनीता जैन

बाप और बच्चा
दोनों गधे पर!
बुरी बात है!

गधा उठाया
काँधे पर!
बुरी बात है!

तो फेंक गधे को दो
पुल से दरिया में!
बुरी बात है!

अपना भी कुछ यही हाल है-

जो कुछ लिखता हूँ
जैसे भी लिखता हूँ-
अनुभव को या
अनुभूति को,
यथार्थ को या
कपोल कल्पित को
मूल्यों को या
नंगेपन को-

बुरी बात है
बुरी बात है!