उजड़ी हुई औरत
तीन ओर पत्थर रखकर
सार्वजनिक जगह पर
बनाती है चूल्हा
रात को उसकी गर्म राख में
कुत्ते सोते हैं
सुबह उसे कोई उजाड़ देता है
शाम फिर जमाती है वह
अपना चूल्हा।
उजड़ी हुई औरत
तीन ओर पत्थर रखकर
सार्वजनिक जगह पर
बनाती है चूल्हा
रात को उसकी गर्म राख में
कुत्ते सोते हैं
सुबह उसे कोई उजाड़ देता है
शाम फिर जमाती है वह
अपना चूल्हा।