सामने वाले घर की खिड़की में
एक औरत रहती है।
अक्सर उसको देखा है
कव्वों से बातें करती है,
कभी रोटी का टुकड़ा डालती
कभी डाँटती–डपटती है,
कभी वहीं बैठी उनका इंतज़ार करती है,
किसी की माँ जैसी लगती है।
बरसों की शायद उसकी आदत है।
इस घोंसले में उसने
शायद अपने बच्चे पाले होंगे
अब वह कव्वे पालती है।
सामने वाले घर की खिड़की में
एक औरत रहती है।