Last modified on 23 मार्च 2013, at 13:03

कशमकश / अनीता कपूर

दिल और दिमाग
की कशमकश में
कभी दिल जीतता है
तो कभी दिमाग
पर पिसता सिर्फ दिल ही है
और दाँव पर लगती है देह
छिन्न-भिन्न होता है वक्त
बिखरती है जिंदगी
और हाथ से फिसल जाती है
एक और पतंग
और लटकी हुई उसकी डोर