हमारी एक-दूसरे को सीधे
देखने से कतराती हैं आँखें
हम एक-दूसरे को नहीं चाहते हैं
पहचान पाना इस शहर में
दोनों हैं लहुलुहान
और पसीने से तर
फिर भी
ठिठक जाते हैं पाँव
कि पूछें, कैसे हो भाई
हमारी एक-दूसरे को सीधे
देखने से कतराती हैं आँखें
हम एक-दूसरे को नहीं चाहते हैं
पहचान पाना इस शहर में
दोनों हैं लहुलुहान
और पसीने से तर
फिर भी
ठिठक जाते हैं पाँव
कि पूछें, कैसे हो भाई