Last modified on 31 अक्टूबर 2009, at 23:37

कश्मीरी मुसलमान-2 / अग्निशेखर

हमारी एक-दूसरे को सीधे
                देखने से कतराती हैं आँखें
हम एक-दूसरे को नहीं चाहते हैं
पहचान पाना इस शहर में

दोनों हैं लहुलुहान
और पसीने से तर

फिर भी
ठिठक जाते हैं पाँव
कि पूछें, कैसे हो भाई