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अस्वीकरण
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कश्मीर-चार / राजेश कुमार व्यास
चर्चा
उजाड़
और
वीरान पड़े
हाउस बोटों से
झांकती सूनी आंखे
ढूंढती है-
बीते कल के
उजले अतीत को।