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कश्मीर / गरिमा सक्सेना

फूलों की घाटी व्यथित, रोता डल का नीर।
मासूमों की मौत पर , कौन बँधाये धीर।।

गोली बम बारूद से, सिसक रहा कश्मीर।
बचपन भूखा मर रहा, ममता हुई अधीर।।

फिर से घाटी में खिलें, अमन शांति के फूल।
गोला बारी बंद हो, खुलें सभी स्कूल।।

स्वर्ग जिसे कहते सभी, वह अपना कश्मीर।
आज वहाँ पर मर रहे, हिंदुस्तानी वीर।।

काश्मीर सुंदर बड़ा, भारत माँ का ताज।
दुश्मन के आतंक से, इसे बचाना आज।।

शत्रु बड़ा चालाक है, करता नितदिन वार।
सुनकर नाम ज़िहाद का, युवा बने हथियार।।

भारत माँ का ताज है, गरिमा है कश्मीर।
आह! मगर ये हो गया, नफ़रत की प्राचीर।।