परेशान मत हो
पानी पी और सो
क्यों जान जलाता है
जो होता है सो हो
यह कैसे हो सकता?
उठ जा अपना मुँह धो
आँखें खोल के देख
तन्द्रा में मत खो
सब सामने आ जाये
भला बुरा है जो
भले न लड़ उससे
बद को बद कह तो
कहना भी बदलना है
उससे फटती है पौ।
परेशान मत हो
पानी पी और सो
क्यों जान जलाता है
जो होता है सो हो
यह कैसे हो सकता?
उठ जा अपना मुँह धो
आँखें खोल के देख
तन्द्रा में मत खो
सब सामने आ जाये
भला बुरा है जो
भले न लड़ उससे
बद को बद कह तो
कहना भी बदलना है
उससे फटती है पौ।