बोलोॅ उगलोॅ साँझ कहाँ छै।
गाँधी-खूदीराम कहाँ छै।
साठ साल के आजादी मे
झलकै सचका काम कहाँ छै।
आसाराम जेल मे पड़लोॅ
लेकिन तोता राम कहाँ छै।
फूल-पान सं सजलोॅ-धजलोॅ
हमरोॅ गंगाधाम कहाँ छै।
पैसा पर पानी तक बिक्कै
लेकिन खून के दाम कहाँ छै।