Last modified on 3 अप्रैल 2021, at 00:06

कहाँ लौ लागी / रामकृपाल गुप्ता

एक बार बस एक बार
उसका ही नाम पुकार उठो सब।
इस दुनिया के सहस स्वरों में
मेरा स्वर डूबा जाता है
रहकर भी वह पास
मेरी डूबी आवाज़ न सुन पाता है
हो सकता है वह सोया हो
किन्हीं खयालों में खोया हो
जग जायेगा मुझको है विश्वास साथ मिल
एक बार बस एक बार
उसका ही मनुहार करो सब।
मुझको तो कुछ पता नहीं
वह वीतराग है या अनुरागी
भूल गया निज को जग को या
कहीं और उसकी लौ लागी
लगता है मूर्च्छा टूटेगी
गोरख की ललकार सुने जब।
एक बार बस एक बार
उसका ही नाम पुकार उठो सब।