पहली दीवाली
मनाई थी जनता ने
रामराज्य की!
उस प्रजा के लिए
कितनी थी आसान
भलाई और बुराई
की पहचान।
अच्छा उन दिनों
होता था-
बस अच्छा
और बुरा
पूरी तरह से बुरा।
मिलावट
राम और रावण में
होती नहीं थी
उन दिनों।
रावण रावण रहता
और राम राम।
बस एक बात थी आम
कि विजय होगी
अच्छाई की बुराई पर
राम की रावण पर।
द्वापर में भी कंस
ने कभी कृष्ण
का नहीं किया धारण
रूप
बनाए रखा अपना
स्वरूप।
समस्या हमारी है
हमारे युग के
धर्म और अधर्म
हुए हैं कुछ ऐसे गड़मड़
कि चेहरे दोनो के
लगते हैं एक से।
दीवाली मनाने के लिए
आवश्यक है
रावण पर जीत राम की
यहां हैं बुश
और हैं सद्दाम
दोनों के चेहरे एक
कहां हैं राम ?