1.
कुछ कहानियों के पहलू
इतने उलझे हुये थे
छूते हुये भी डर लगता था
कि कहीं मतलब ग़लत न हो जाये
मैंने उनको थोड़ा पैर सिकोड़ने को कहा
अब वह सुन्दर, व्यवस्थित व सुघङ दिखतीं थीं
2.
वह दिख रही थी
किसी नामचीन लेखक द्वारा लिखी
एक लघुकथा कि तरह
मैंने झाँक कर उसकी आँखों में
पढ़ना चाहा
ना जाने कितनी कहानियाँ
एक एक कतरे के साथ बहकर
मेरी हथेली में आ गयीं
अब मेरे सामने एक पूरी किताब खुली थी
मैं हर पंक्ति को व्यवस्थित कर रही थी
हर पहलू को उसकी तरह सुन्दर रूप देते हुये
3.
मैंने लिखनी चाही
कई बार
एक कहानी
जो जीवित रह सके अनंत काल तक
जिसको पढ़ा जा सके दसियों बार
जो आँखों के सामने से गुजरे
किसी आपबीती की तरह
जिसका पहनावा, रंगत और व्यवहार के चर्चे
कायम रहे
हरेक होंठ पर
किसी सुंदर स्त्री की अनावृत देह की तरह
पर नहीं लिख सकी मैं कभी ऐसी कहानी
क्यों कि कर ही नहीं सकी मैं
खुद को कहानी में कभी, तब्दील
4.
हर कहानी का एक चेहरा था
कुछ पढ़े जा सकते थे
और कुछ को देख कर जिज्ञासा बनी हुयी थी
हर जिज्ञासा का अंत हो सकता था
पर उसके लिए
कल्पनाओं के धरातल पर
उन चेहरों पर संभावनाऐं तलाशनी पड़तीं
मैंने हर चेहरे को रंग दिया
ताकि जहाँ मैं हूँ
वहाँ से हर चेहरा सुन्दर दिखे
और हर कहानी मुझे अपनी-सी लगे