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कहानी / नरेन्द्र जैन

उन्होंने कहा
वे सपने देखते हैं
जंगल में कोई जानवर कभी
सपना नहीं देखता

याचक-सी उनके आस-पास
मँडराती दुनिया को वे हर मोड़
पर तसल्ली देते हैं
'हम जो हैं तुम्हें आगे बढ़ाएंगे'

वह कम्बख़्त
एक क़दम आगे बढ़ती है
दस क़दम पीछे हटती है
एक सपने की ख़ातिर
औरत अपने गर्भ में
बच्चे को बढ़ता हुआ देखती है