जब मैं नहीं रहूँगा
तब भी हूँगा मैं --
कहा पिताजी ने
जिऊँगा बड़के की
क़लम में
कविता-कहानी बन कर
बिटिया की कूची
और पेंटिंग्स में
ज़िंदा रहूँगा मैं
जीवित रहूँगा मैं
मँझले के
आत्म-सम्मान में
छोटे के
संकल्प में
जिऊँगा मैं
जैसे मेरे पिता जीवित हैं मुझमें
और अपने बच्चों में जिओगे तुम सब
वैसे ही बचा रहूँगा
मैं भी तुम सब में
ओ मेरे बच्चो--
कहा पिताजी ने हम से