'ऎसे नहीं होते कवि' कहा मेरी
बेटी ने, ग्यारह साल की--
देखती हूँ-- बहुत दिनों से नहीं
पूछा आपने, पौधों के बारे में ।
छत पर नहीं गए
देखने तारे ।
बारिश हुई, इतनी हरी घास उगी,
कैसी चमकती है धूप में, वहाँ--
देखा नहीं आपको देखते
उस घास को ।
'ऎसे नहीं होते कवि'
कहा मेरी बेटी ने ।