Last modified on 3 फ़रवरी 2009, at 22:38

कहा मैंने / मीर तक़ी 'मीर'

कहा मैंने कितना है गुल का सबात
कली ने यह सुनकर तब्बसुम किया

जिगर ही में एक क़तरा खूं है सरकश
पलक तक गया तो तलातुम किया

किसू वक्त पाते नहीं घर उसे
बहुत 'मीर' ने आप को गम किया