नै जानौं हमरोॅ देश कहिया सुधरतै
तिरंगा इ दुनियाँ में कहिया फहरतै
मण्डल-कमण्डल, इ हर्षद आ डंकल
छोड़तै यें कहियो कि डसथैं ही रहतै
चार दिन जीयै लेॅ जाति कोन काम के
धरम-करम लेली की कोइयो हहरतै
गौतम, कबीरोॅ के भूमि के इ हालत
नै जानौं कहिया तक लोग सब कहरतै
शासन-प्रशासन सब होलै कुशासन
बम-गोली डर सें सब कब तक सिहरतै
दानोॅ, दहेजोॅ, मुनाफा घूस आरो धौंस
यहेॅ रं चलतै कि आभियो सुधरतै
जाति-धरम बनलै मानवता के दुष्टोॅ
दंगा-फसाद जानौं कहिया गुजरतै
प्रजातंत्र-मतलब की यहेॅ छेकै ‘निर्मल’
जनता चुपचाप रहतै, नेता डिकरतै