बहुत दिनों बाद
शाम की सैर पर निकला
और सहसा पाया
धीरे-धीरे
मेरे क़दम
उधर ही बढ़ रहे थे
जिधर से ख़ुशबू भरी हवाएँ
तेज कदमों से चली आ रही थीं।
बहुत दिनों बाद
शाम की सैर पर निकला
और सहसा पाया
धीरे-धीरे
मेरे क़दम
उधर ही बढ़ रहे थे
जिधर से ख़ुशबू भरी हवाएँ
तेज कदमों से चली आ रही थीं।