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क़िताब / नरेश अग्रवाल

अनगिनत सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद
एक क़िताब लिखी जाती है
अनगिनत सीढ़ियाँ उतरने के बाद
एक क़िताब समझी जाती है ।