देखो आहिस्ता चलो,और भी आहिस्ता ज़रा देखना,सोच-समझकर ज़रा पाँव रखना जोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जायें देखो जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जायेगा