काग़ज़ जिसमें स्पन्दित है
वनस्पतियों की आत्मा
आकाश जितना सुन्दर है
जैसे शब्दों के लिए है आकाश
काग़ज़ भी वैसे ही
स्याही से उपट रहा जो अक्षरों का आकार
काग़ज़ पूरी तन्मयता से
रहा सँवार
जीवन की आवाज़ों-आहटों, रंगत
और रोशनी से भरपूर इबारतें
काग़ज़ पर बिखरी हैं चहुँ-ओर
धरती में घास की तरह
और उन्हें धरती की तरह काग़ज़
कर रहा फलीभूत |