काग़ज़ का भी अलग विज्ञान है
पड़े-पड़े पीला पड़ जाता है
साल-भर पुराना
सदियों पुराना लगता है
कुछ चीज़ें पड़े-पड़े काली हो जाती हैं
कुछ मटमैली
कुछ सवाल हैं, रूढ़ियाँ, गूढ़ताएँ
इनके रंग पर कोई असर नहीं पड़ता
काग़ज़ का भी अलग विज्ञान है
पड़े-पड़े पीला पड़ जाता है
साल-भर पुराना
सदियों पुराना लगता है
कुछ चीज़ें पड़े-पड़े काली हो जाती हैं
कुछ मटमैली
कुछ सवाल हैं, रूढ़ियाँ, गूढ़ताएँ
इनके रंग पर कोई असर नहीं पड़ता