Last modified on 17 जून 2012, at 18:35

काट फंद हे गोविन्द ! / शिवदीन राम जोशी

काट फंद हे गोविन्द ! शरण जानि तारो |
भव समुद्र है अगाध, मोहि को उबारो ||
विनय करी गज गयंद, कृपा करी कृष्णचन्द्र |
द्रोपदा की लाज रखी, आसरो तिहारो ||
दर्शन दे दुःख हरो, दया राह कृपा करो |
अनाथन के नाथ राम, अरजी चित्त धारो ||
जनम मरण ते छुटाय, हे गोविन्द देकर सहाय |
निरबल के राम श्याम, तू है प्राण प्यारो ||
अचल संत संत राम, जय-जय हे सुख धाम |
शिवदीन दीन अर्ज़ करे, कोटि विघ्न टारो ||
<poem