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कादम्बरी / पृष्ठ 66 / दामोदर झा

25.
ओतय एक दिन रहि भोरे अपना सेनामे जयबे
हमरासँ परिचयक दण्डमे अहाँ एते दुख पयबे।
चन्द्रापीड़ कहल से सुनि हम छी अधीन मुनि जनके
जे आदेश करब से पालब काज करू निज मनके॥

26.
सुनि ई बात महाश्वेता उठि लगले यात्रा कयले
चन्द्रापीड़ चलल हिनका सङ पैदल प्रभुदित भेले।
कयल इशारा केयूरकके लय इन्द्रायुध बढ़ल
आगू जा कादम्बरीक लग कुमरक विवरण कहले॥

27.
चन्द्रापीड़ महाश्वेता सङ किछए समय चलल छल
तावत देखल गन्धर्वक पुर सुर पुर अपर बसल छल।
हेमकूटपर भवन एकसँ सुन्दर एक बनल छल
पुरुष नारि सब रूपे अपरुब आभूषणे सजल छल॥

28.
उच्च फटिक तोरणे मनोहर जा पहुँचल रजधानी
फाटक सातक पार भवन छल निवसय जतय जनानी।
तकरो एक भागमे कन्यान्तःपुर चित्र बनल छल
कादम्बरी भवन सज्जासँ लज्जित इन्द्रमहल छल॥

29.
केयूरक पुनि आबि संग भय आगू मार्ग देखाबय
देखै लय छबि हिनक युवतिजन चारू दिशिसँ धाबय।
आगू जा देखल श्रीमण्डप नामक चित्र सजल छल
अनुपम छवि कादम्बरीक जे मणिमय सभामहल छल॥