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कादम्बरी / पृष्ठ 76 / दामोदर झा

1.
उगला भानु प्रभात भेल सब जग प्रसन्न छल
उठला चन्द्रापीड़ कयल प्रातक विधि अविकल।
केयूरकके पूछल, कादम्बरी कतय छथ्सि
उठली वा सुतली छथि के परिजनहुँ ततय छथि॥

2.
केयूरक कादम्बरीक वार्ता लय आयल
कहलक, अछि मन्दर महलक वेदिका सजायल।
ततहि महाश्वेताक संग सुखसँ बिहरै छथि
निपुण गायिका वीणा बजबय श्रवण करै छथि॥

3.
क्ेयूरक सङ राजकुमार ततहि चल गेले
नमस्कार कय नम्रभावसँ आसन लेले।
किछु छन सुनि संगीत महाश्वेता मुख देखल
मुसुकायल किंचित ततबहिसँ सब निरदेसल॥

4.
कहल महाश्वेता सखि, पाहुन बिदा मङै छथि
गुण अहाँक भय द्रवित सकुचि नहि वचन टङै छथि।
पाछू मे छन्हि चिन्तित सेनापति भूपति गण
हिनक पता नहि पाबि विलोकए कैलासक वन॥