कजरी
कान्हा झूला झूले गोकुल नगरिया,
चुनरिया भींगे सावन॥
बाली उमर में राधा रानी भीग गइली,
झीनी रे चुनरिया हवा में उड़ गइली,
नेहिया लाग गइले तोहसे सावरिया॥
चुनरिया भींगे सावन में॥
घुमड़-घुमड़ मेघा अइसे बरस जा।
अपनी बिरहिया के प्यास बुझा जा।
मीरा गली-गली बनली बावरिया॥
चुनरिया भीगे सावन में॥
मुरली के तान कान्हा मन मोरा मोहे।
सिर पर मुकुट दिन-रात तोहके शोहे।
मधुवन नाचे लगली सखी मोरनिया॥
चुनरिया भींगे सावन में॥
पायल खनके चूड़ी मोर बाजे।
सखिया सलेहर कान्हा संग नाचे।
घूमे योगी बनके सगरी दुवरिया॥
चुनरिया भींगे सावन में॥
मनमोहन तूही मदन मुरारी।
राधा के संग तोहे कैसे बिसरी।
रसिया जोड़ लिहले तोहसे सनेहिया॥
चुनरिया भींगे सावन में॥