Last modified on 8 मई 2013, at 12:06

कामना / ‘हरिऔध’

 

सदा भारत-भू फूले फले।

सफल कामनाएँ हों उसकी मिले सफलता गले।
पुलकित रहे प्रिय सुअन प्रतिदिन सुख पालने में पले।
भव-हित-रत भावुक मानस में भरे भाव हों भले।
दुख दल दलित रहे, कोई खल कर खलता न खले।
छूटे क्षोभ, क्षुद्रजन को भी छली न छल कर छले।
सकल समल मन परम विमल हो छूटे तन मल मले।
धाम धाम हो धूम धाम धवनि अधाम अधामता टले।1।

भारत भूल में न पड़ भूले।

क्या फल होगा, अंगारों को फूल समझ कर फूले।
लिख न सकेंगे लेख लेखनी कर में लेकर लूले।
कनक न होवेंगे पुआल के पीले पीले पूले।
मलय समीर समान मनोरम बनते नहीं बगूले।
बहीं नहीं लू कलित कुसुम की मत्ताकरी बर बू ले।
काले को कोई क्यों कामिनी कल कुंतल कह छू ले।
परम अकाम अंक कैसे कामद काम बधू ले।2।