यही कामना जैती बेरिया, ज्योंकि त्यों धर सकौ चदरिया
दाग लगैलां गिन-गिन एतना, आसमान में तारा जतना
एहनोॅ भूरख जनम गँवैलां, ताना मारै हँसै नगरिया
फिरलां दर-दर भूखा-प्यासा झख-झख करकेॅ होलां रुआँसा
अछता-पछता पलछिन काटलां काटलां एहने दिन-दूपहरिया
गली-गली में कीचड़-कादोॅ जीवन-रैन अमावस-भादोॅ
मुश्किल हिलना-डुलना-रहना कालिख-मोबिल भरी कोठरिया
अब तेॅ कुछ धोवै के गुण देॅ, मैल कटेॅ कुछ ऊ साबुन देॅ
जैती बकत गरव कर पावौं, विरथा नै तन जाय उमरिया