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कामना में / विशाखा मुलमुले

गर्दन झुकाने के पहले उसने दस बार सोचा
बीस बार इधर -उधर देखा
जगह का मुआयना किया
आहटों को भांपा
संकटों का संज्ञान लिया
फिर जाकर ,
सकोरे में रखे पानी में अपनी चोंच डुबाई

अपने जीवन में हमने
प्यास के चरम पर
तृष्णा को परे रख
कब इतना सोचा ?
कितनी बार तत्काल गर्दन झुकाई ?