Last modified on 25 जून 2010, at 22:10

काम नहीं चल सकता / रमेश कौशिक

जो तुमको अच्छा लगता है
तुमने वही समझना चाहा
चाहे वह अस्तित्वविहीन हो
लेकिन उसको कब समझोगे
जो यथार्थ है
लेकिन रुचिकर तुम्हे न लगता.

यह दुनिया है
यहाँ तुम्हारे अच्छा लगने से तो
काम नहीं चल सकता.