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कारवाँ / सुस्मिता बसु मजूमदार 'अदा'

कल ख़्वाब एक देखा था
मेरे दर पे दस्तक देकर
पूछा एक अजनबी ने
क्या घर में जगह खाली है?
एक कारवाँ ठहरेगा कुछ दिन।

‘ना’ कहा था मैंने उस दिन
महमाँ नवाजी मुश्किल है
उस पर अजनबी मेहमाँ।

सुबह ठहाकों के शोर से
आँख खुली तो देखा
पड़ोसी के घर
खुशियों का कारवाँ आया है।